ही पड़ा है

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एक रोग्रासित तन को रोगनिरुक्त करनेवाली औषधी का सहारा लेना ही पड़ता है वैसे ही मेरे प्रीत्वांचित हृदय को तेरे चीत असरा लेना पड़ा,

एक बंजर उपवन को जल की एक बूंद का सहारा लेना ही पड़ता है वैसे ही मेरे प्रेमवचन पिपासित कर्णो को तेरे मधु वचनों का आश्रय लेना ही पड़ा,

एक बंजारे को सूर्य की अगन-कांटों की चुभन से हर रात्रि को शयन का सहारा लेना ही पड़ता है वैसे ही मेरे जीवनपथ का शयन तुम्हारी प्रीति में मुझे लेना ही पड़ा,

आज लगता है की वो असरा,वो आशय, वो शयन नहीं लेना था क्यूंकि उसका मोल अब अपकल्पनीय हृदयत्ना अविश्वसनीय पीढ़ा से चुकाना ही पड़ा ,
चुकाना ही पड़ा।

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