तुम देव नही मानव हो प्रिय,
तुम सती सीता नही मायाबंधित मनुष्य हो,तुम शक्ति भी हो किंतु अपनी शक्ति से अनभिज्ञ भी हो,
तुम ज्ञान ध्यान सौभाग्य भी हो किंतु माया से परे ना हो,तुम धैर्यधारी शिव भी हो किंतु सुकोमल चंचला भी हो,
तुम सत्य भी हो किंतु अपने सत्य स्वरूप से अनजान भी हो,तुम सब कुछ हो प्रिए किंतु श्री कृष्ण की वो नीति श्ठे शठ्यम समाचरे बस तुम ये नीति ना हो,
तुम में सब कुछ है प्रियवर किंतु केवल आभास उचित अनुचित का भान न है तुम केवल ये ही ना हो,
तुम केवल ये ही ना हो,
तुम केवल ये ही ना हो।
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सिला-ए-दिलगि
Poetryलोग दिल से दिल लगा लेते है , सिला-ए-दिलागी में कई ज़ख्म दिल में पा लेते है, उसी दिलागी के कुछ पैगाम सुनो, मैने जो देखा उसका आंखों देखा सियाहीदा अंजाम सुनो, ये इश्कनाशी दिलगि का बेवफाई भरा अंजाम सुनो। so, namaste and hello I know I should translate t...