माफ़ी

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माफ़ी की चाहत रखते हो तो आसुओं की आग में तपना होगा,

माफ़ी की चाहत रखते हो तो प्रेशचित के अंगारों पर चलना होगा,

माफ़ी की चाहत रखते हो तो इस दिल-ए-मासूम के हर एक गम की तपिश को सहना होगा,

माफ़ी की चाहत रखते हो तो ज़िंदगी ने जो ये खारे पानी तले अंगारे लगाए है उनका मरहम बना होगा,

माफ़ी की चाहत रखते हो तो उसे हासिल करने का दृढ़ निशचय रखना होगा,

माफ़ी की चाहत रखते हो तो माफ़ी के काबिल बना होगा,

माफ़ी को हासिल करना होगा मेरे प्रिय,
उसको हासिल करना होगा।

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