कैसे करू

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अब तो मुझे मेरी परवाह नहीं, तेरी करू तो कैसे,
मेरे दिल में जहां अतीश थे वहां अब तो बस खाख है,

मेरा तन जो बारिश की महकी मिट्टी सा था अब तो उस से भी शमशान की मिट्टी सी बास आती है,

मेरी रूह जो दरिया के जैसी थी अब तो वो भी सूख चुकी है,

मेरी निगाहे जिन में पवन सा वेघ था अब तो वो भी शीतल हो चुकी है,

अब लगता है जिंदगी में कुछ है ही नही, तुझ से इश्क़ करू तो कैसे करू ,

कैसे करू,
बता कैसे करू?

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