अब तो मुझे मेरी परवाह नहीं, तेरी करू तो कैसे,
मेरे दिल में जहां अतीश थे वहां अब तो बस खाख है,मेरा तन जो बारिश की महकी मिट्टी सा था अब तो उस से भी शमशान की मिट्टी सी बास आती है,
मेरी रूह जो दरिया के जैसी थी अब तो वो भी सूख चुकी है,
मेरी निगाहे जिन में पवन सा वेघ था अब तो वो भी शीतल हो चुकी है,
अब लगता है जिंदगी में कुछ है ही नही, तुझ से इश्क़ करू तो कैसे करू ,
कैसे करू,
बता कैसे करू?
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सिला-ए-दिलगि
Poetryलोग दिल से दिल लगा लेते है , सिला-ए-दिलागी में कई ज़ख्म दिल में पा लेते है, उसी दिलागी के कुछ पैगाम सुनो, मैने जो देखा उसका आंखों देखा सियाहीदा अंजाम सुनो, ये इश्कनाशी दिलगि का बेवफाई भरा अंजाम सुनो। so, namaste and hello I know I should translate t...