वो कसक

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वो कसक इश्क में ही है जो इंसान को शब्दों का वली बना दे ,

वो कुवत-ए-इश्क ही है वो अदम को लफ्जों से खेलना सीखा दे,

वरना हम में इतनी कशीश इतना खुमार कहां की अल्फाज़ पिरो नगमा बना दे,

वरना हम में इतनी कुवत कहां की स्याही से इंसान को फनी से बाक़ा कर दे।

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