आज चढ़ते सूरज की पहली किरणों में भीगी अपनी परछाई को देखा तो तुमको पाया ,
आज मेघाघिरते मेघो के काले सायों में बरसते पानी से भरे गढ़ों में जब अनायस अपना प्रतिबिम देखा तो तुम्हे पाया,
आज चढ़ते रैना की छाव में खिलते चांद की रोशनी से जगमगाए कांच में जब स्वयं को देखा तो तुम्हे पाया,
आज चढ़ते भविष्य की ओर झांका तो अपना तुम्हारा एक सुखद जीवन पाया ,
मैने तुम्हे पाया ।
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सिला-ए-दिलगि
Poetryलोग दिल से दिल लगा लेते है , सिला-ए-दिलागी में कई ज़ख्म दिल में पा लेते है, उसी दिलागी के कुछ पैगाम सुनो, मैने जो देखा उसका आंखों देखा सियाहीदा अंजाम सुनो, ये इश्कनाशी दिलगि का बेवफाई भरा अंजाम सुनो। so, namaste and hello I know I should translate t...