तुम्हे पाया

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आज चढ़ते सूरज की पहली किरणों में भीगी अपनी परछाई को देखा तो तुमको पाया ,
आज मेघाघिरते मेघो के काले सायों में बरसते पानी से भरे गढ़ों में जब अनायस अपना प्रतिबिम देखा तो तुम्हे पाया,
आज चढ़ते रैना की छाव में खिलते चांद की रोशनी से जगमगाए कांच में जब स्वयं को देखा तो तुम्हे पाया,
आज चढ़ते भविष्य की ओर झांका तो अपना तुम्हारा एक सुखद जीवन पाया ,
मैने तुम्हे पाया ।

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