कैसे मनाऊं

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दर्द में आसू बाहानेवालो तुमने भी क्या ख़ाक दर्द देखा कभी अपने कंधे पर दूसरे के प्यार के आसू झेले हो तो मानू,

प्यार में जान लुटानेवालों तुमने भी क्या ख़ाक प्यार किया कभी अपने प्यार के लिए उसके बिना जिंदा रह सको तो मानू,

मुस्कुराहट पर दिलबर की दिल देनेवालों तुमने भी क्या ख़ाक दिल दिया है किसके ज़िक्र भर पर दिल दिया हो कभी तो मानू,

चिढ़कर नखरे करनेवालो ने भी क्या ख़ाक नखरे किए है मेरे यार की नखरे से भरी चिढ़ी सुरमई नजरों को हरा पाओ तो मानू,

जिस कश्ती में हम सवार है उसे तुम भी एक बार आज़मा कर तो देखो पर उस से पहले दिल में अंगारे लेकर होटों पर मुस्कान सजा पाओ तो मानू।
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So this poem wouldn't have been possible without Bubblesrsweet so thank you very much for this yaar.

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