आशिक़ - आहिल दोनो खड़े दोनो के सर इश्क़ चढ़ बोला है,
आहिल से शमशीर है छूटी,आशिक़ से तन मन छूटा है,
आशिक आहिल दोनो खड़े इश्क़ कसीदा झूठ का या खुदा की इबादत का ज़रिए हैं,
आहिल ने जहां को जाला, आशिक ने दीवानगी में सब कुछ खोया है,
आशिक - आहिल दोनो खड़े दोनो का दामन मैला है,
बता इश्क तू किसका दामन पोछेगा उसका जिसने तेरे कदमों पर दुनिया को लाकर तोला है या उसका जिसने खुद को तुझ में खोया है,आशिक - आहिल दोनो खड़े फैसला अब तेरा है ।
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सिला-ए-दिलगि
Poésieलोग दिल से दिल लगा लेते है , सिला-ए-दिलागी में कई ज़ख्म दिल में पा लेते है, उसी दिलागी के कुछ पैगाम सुनो, मैने जो देखा उसका आंखों देखा सियाहीदा अंजाम सुनो, ये इश्कनाशी दिलगि का बेवफाई भरा अंजाम सुनो। so, namaste and hello I know I should translate t...