वो है मोहोब्बत

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मोहोब्बत वो है जो दिलकशी से शुरू हो आशिक की मौत तक जाए,

जो आशिक को हर पल साहिर को खारे दरिया में प्यास सी तड़पाए,

जो इश्क़ बन आंखो के अश्क बन जाए,
जो दिलबर की हमनफज बन उसकी सांसे छीन जाए,

जो पास होकर भी आशिक की ठंडी आह बनकर भर रह जाए,

जो ज़िंदगी की पहली ना सही तो आखिरी आरज़ू बन जाए,

जो फनाह हुए परवाने के लबों से निकली आखिरी ख्वाइश उसकी आखरी दुआ बन जाए,

वो है इश्क जो समा-ए-रोज़-ए-इंतज़ार का आलम बन जाए,

वो है इश्क़,
वो है मोहोब्बत।

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