ये किया किसने

45 13 10
                                    

ये सोच हमारे मस्तिष्क में भरी किसने नर-नारी में खाई बनाई किसने,

ये सोच उसने तो नही भरी जिसने हृणयगर्भ से हमे बनाया था फिर ये भेद किया किसने,

ये विष घोला किसने की जगतधारिणी का अस्तित्व उसी के अंश से छोटा है ये विचार विचार किसने,

ये सोच की केवल पुत्र ही कुलदीपक होता है इस सोच हो सत्य बनाया किसने,

ये किया किसने,
ये विभेद किया किसने?

सिला-ए-दिलगि जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें