मेरे प्रियतम की प्रेम पिपासा से मैं आज कुछ इस भांति पीपासित हु की लाज-लज्जा सब भूलने का मेरा मन कर रहा है,
मेरे हृदतनाथ के हृदयनाद के मधु सम मधुर वंदन को कर्णो में धारण करने को ह्रदय आज अत्यंत ही लालित हो रहा है ,
मेरे प्रिय के प्रिए वाकधारी अधरो को अपनी इस तमचरी जीवा से कुछ ऐसे स्पर्श करू की उन्हे मेरे हो जाने के अतिरिक्त कोई विचार शेष रहे ही ना आज मन कर रहा है,
मेरे उर्पति के अंग-अंग का आलिंगन कर उसे स्वयं में समा लेने को आज अंग-अंग उत्साहित है आज हृदय की यही इच्छा कर रही है,
मेरे हृदयप्रिय को प्रीतमय होकर उनके कमलसम तन को चुम्बन देने की आज मंशा हो रही है ,
मेरे प्राणप्रिय के संग आज चंद्रमा से उजवलित निशा को प्रेमनिषा में परिवर्तित करने का आज मन कर रहा है ,
इस रात्रि को प्रीतमेय करने का आज मन कर रहा ,
आज मन कर रहा है।
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सिला-ए-दिलगि
Poetryलोग दिल से दिल लगा लेते है , सिला-ए-दिलागी में कई ज़ख्म दिल में पा लेते है, उसी दिलागी के कुछ पैगाम सुनो, मैने जो देखा उसका आंखों देखा सियाहीदा अंजाम सुनो, ये इश्कनाशी दिलगि का बेवफाई भरा अंजाम सुनो। so, namaste and hello I know I should translate t...