उस बेवफा के इश्क़ में हम तो शायर - ए - कवाल हो गए ,
उस तन्हादिल की मोसीकी में हम सेहलाबों से लड़ गए ,
उस बेवफ़ा - ए - वफ़ा से एक ही इल्तिज़ा थी इस दिल की इकरार - ए - इश्क़ हमारा शायराना हो ,
उस बेवफ़ा में खुदा ने इतनी वफ़ा भी ना बक्शी की वो इस दिल -ए -नादान की ज़रा सी ख्वाशि को मुकमल करदे ,
वो दिलफरोश तो ये भी नहीं कर गए ।
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सिला-ए-दिलगि
Poetryलोग दिल से दिल लगा लेते है , सिला-ए-दिलागी में कई ज़ख्म दिल में पा लेते है, उसी दिलागी के कुछ पैगाम सुनो, मैने जो देखा उसका आंखों देखा सियाहीदा अंजाम सुनो, ये इश्कनाशी दिलगि का बेवफाई भरा अंजाम सुनो। so, namaste and hello I know I should translate t...