उस बेवफा

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उस बेवफा के इश्क़ में हम तो शायर - ए - कवाल हो गए ,

उस तन्हादिल की मोसीकी में हम सेहलाबों से लड़ गए ,

उस बेवफ़ा - ए - वफ़ा से एक ही इल्तिज़ा थी इस दिल की इकरार - ए - इश्क़ हमारा शायराना हो ,

उस बेवफ़ा में खुदा ने इतनी वफ़ा भी ना बक्शी की वो इस दिल -ए -नादान की ज़रा सी ख्वाशि को मुकमल करदे ,

वो दिलफरोश तो ये भी नहीं कर गए ।

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